कहते हैं कि दिल की बात जुबान पर आ ही जाती है। आखिर मुलायम सिंह दिल की बात निकालने को उतावली अपनी मचलती रसना (जीभ) को भला कब तक रोक पाते? अपनी जीभ से तलवार चलाने में माहिर समाजवादी पार्टी के "समाजवादी" नेता जी के मुँह से उनकी असलियत तो निकलनी ही थी, सो निकल गयी। समाजवादी पार्टी विषवमन और समाज में विषवपन के लिये प्रसिद्ध है ही। आखिर विष के बीज बो-बो कर उसकी पार्टी सत्ता में जो आती है। अब भला अपना चरित्र कैसे छोड़ दे? जो लोग आजम खाँ की विषाक्त जिह्वा से आश्चर्यचकित थे, उन्हें अब पता चल गया होगा कि उसकी कैंची जैसी जीभ को बल कहाँ से मिलता है। आज ’जैसा राजा वैसी प्रजा’ कहावत भले न सही हो पर ’जैसा मुखिया वैसे घरवाले’ ये कहावत चरितार्थ हो गयी। मुलायम ने समाज में वैमनस्य फैलाने वाली बेलगाम जुबानों पर कभी लगाम लगाने की कोशिश नहीं की, क्योंकि ये तो उन्हीं के द्वारा इसी विषवमन के लिये रोपे गये पौधे थे। आज उन्हीं मुलायम की स्त्रियों के प्रति घटिया एवं अपराधियों के प्रति उदात्त भावना देखकर मुझे कदापि आश्चर्य नहीं हो रहा है। उत्तरप्रदेश के हर नागरिक को, जो मुलायम का क्रीतदास नहीं है, उसे यह बात स्पष्टरूप से पता है कि अपराधियों को पाल-पाल कर ही सपा सत्ता में पहुँचती रही है और इस बार भी पहुँची है। वह अपराध चाहे हत्या, डकैती, लूट, अपहरण जैसी गुण्डागर्दी हो या बलात्कार जैसे जघन्य कृत्य...सभी अपराधियों के लिये मुलायम की मुलायम तकिया अच्छी पनाहगाह एवं स्वप्नगाह है। ऐसे व्यक्ति या ऐसे ’समाजवाद’ के ढोंगियों को अपना अमूल्य मत देते समय एक बार तो अवश्य सोचना चाहिये। इसबार के चुनाव में सकारात्मक बात यह है कि अब हमारे देश की जनता ने सोचना-विचारना शुरू कर दिया है। जिन महिलाओं के प्रति मुलायम ने इतना घृणित बयान दिया है, उस महिलावर्ग ने भी अपने अधिकारों को पहचानना प्रारम्भ कर दिया है और दिल्ली में कल हुआ मतदान इसका प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत करता है। अच्छा है मुलायम न सही धन्यवाद उनकी चञ्चल एवं सजग जिह्वा को जिसने उनके काले हृदय की बात को समाज के सामने प्रस्तुत कर कम से कम अपने Gender के साथ justice तो किया। (NOTE:-जिह्वा, रसना आदि जीभ के पर्यायवाची शब्द स्त्रीलिंग हैं, अतः जीभ बेचारी कब तक अपने सहधर्मियों के साथ अन्याय सह सकती थी...जिह्वा तू धन्य है।)
राष्ट्रद्रोही अपने कुकृत्यों व करतूतों द्वारा JNU में पढ़ने आने वाली देश की प्रज्ञा का अपमान न करें और उसे बदनाम न करें
JNU आजकल राष्ट्रद्रोही गतिविधियों, कश्मीर के अलगाववाद व पाकिस्तान-परस्त नारों के कारण चर्चा में है। कुछ लोगों व गिरोहों की काली करतूत के कारण यह प्रतिष्ठान अपनी प्रतिष्ठा खो रहा है। #JNU वह प्रतिष्ठित प्रतिष्ठान है जिसने देश को अनेक नीति-नियन्ता, विचारक, शिक्षक, विद्वान व प्रशासक दिये हैं। हमारे सैन्य अधिकारियों को भी JNU डिग्री देता है। राष्ट्र-विकास व राष्ट्र-प्रतिष्ठा के विविध क्षेत्रों में इस विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यद्यपि यहाँ लगभग हल काल में कुछ राष्ट्रद्रोही व्यक्ति व गिरोह रहे हैं परन्तु इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि पूरा विश्वविद्यालय ही द्रोही व विध्वंसात्मक है। यहाँ से अनेक ऐसी प्रतिभायें भी प्रसूत हुयी हैं जिन्होंने देश का गौरव बढ़ाया है। अनेक ऐसे लोग भी हुये हैं जो यहाँ विद्यार्थी जीवन में वामपंथ के तिलिस्म में फंसे तो जरूर पर परिसर से बाहर निकलते ही उस तिलिस्म से निकलकर राष्ट्रसेवा में लग गये। अनेक लोग हैं जिन्हें राष्ट्रीय अस्मिता का प्रत्यभिज्ञान हुआ है। #JNU भारत का एक ऐसा विश्वविद्यालय है जहाँ आप न्यूनतम व्यय पर गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा सहजता से
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